कांग्रेस के कद्दावर नेता की प्रतिष्ठा फिर दांव पर
बीकानेर पश्चिम और पूर्व विधानसभा क्षेत्रों में चार ब्लॉक अध्यक्षों तथा शहर कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर
आमने-सामने हैं दो गुट, दोनों गुटों के बीच प्रतिष्ठा का सवाल बना संगठन चुनाव, आगामी तीन अक्टूबर तक घोषित हो सकते हैं अध्यक्षों के नाम, गुटबाजी के चलते दिल्ली तक पहुंच गया है बीकानेर के संगठन चुनावों का मामला
- सुरेश बोड़ा
बीकानेर (अभय इंडिया न्यूज)। प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं कद्दावर कांग्रेस नेता डॉ. बी. डी. कल्ला की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर है। बीकानेर पश्चिम और पूर्व विधानसभा क्षेत्रों के चार ब्लॉक अध्यक्षों और उसके बाद शहर कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव उनके लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। एक समय था जब कांग्रेस पार्टी में उनकी प्रदेश स्तर तक तूती बोलती थी। ब्लॉक अध्यक्ष तो दूर की बात थी, शहर अध्यक्ष के चुनाव में भी उनकी पसंद ही सर्वोपरि रहती थी। पर, राजनीति में समय एक सा किसी का नहीं रहता। उतार-चढ़ाव के दौर आते रहते हैं। इसी दौर ने डॉ. कल्ला के सामने बड़ी चुनौतियां पेश कर दी है। बीकानेर पश्चिम और बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्रों से दो-दो ब्लॉक अध्यक्षों के चुनाव को लेकर डॉ. कल्ला की पसंद के दावेदारों को विरोधी गुट से कड़ी चुनौती मिल चुकी है। बताया जा रहा है कि दो विधानसभा क्षेत्रों के कुल चार ब्लॉक अध्यक्षों में से डॉ. कल्ला के गुट की पसंद का एक ही अध्यक्ष बन सकेगा। यही स्थिति पीसीसी सदस्यों के चयन को लेकर बनी हुई है। बाकी के तीन ब्लॉक अध्यक्ष और पीसीसी सदस्य तय होने में विरोधी गुट के बताए जा रहे प्रतिपक्ष नेता रामेश्वर लाल डूडी, पूर्व महापौर भवानी शंकर शर्मा, पूर्व शहर कांग्रेस उपाध्यक्ष बाबू जयशंकर जोशी, प्रदेश कांग्रेस सचिव राजकुमार किराड़ू, शंकर पन्नू, डॉ. तनवीर मालावत की पसंद के दावेदार बाजी मार सकते हैं। चारों ब्लॉक अध्यक्षों के दावेदारों में प्रमुख रूप से रमजान कच्छावा, विजय आचार्य (गट्टू महाराज), मगन पाणेचा, आनंद सिंह सोढ़ा, सुमित कोचर, राजेश आचार्य के नाम सामने आ रहे हैं। इसी तरह पीसीसी सदस्य के दावेदार के रूप में भवानी शंकर शर्मा, डॉ. राजू व्यास, डॉ. तनवीर मालावत, गोपाल गहलोत, जिया उर रहमान, सैयद अली, किशन सांखला के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। पार्टी के सूत्रों के मुताबिक ब्लॉक अध्यक्ष के चुनावों को लेकर आगामी 29 सितम्बर को चंडीगढ़ में डीआरओ की बैठक होने जा रही है। इसमें सभी जिलों के विधानसभावार ब्लॉक अध्यक्षों के पदों के लिए नामों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके बाद इनकी घोषणा संभवत: नई दिल्ली से आगामी तीन अक्टूबर को हो सकती है। अपने चहेतों को ब्लॉक अध्यक्ष बनाने को लेकर एक तरफ डॉ. कल्ला तो दूसरी ओर उनके विरोधी गुट ने पूरी ताकत झोंक रखी है। सूत्रों की मानें तो यह पहला मौका होगा जब चार में से महज एक ही ब्लॉक में डॉ. कल्ला गुट के चहेते का चयन हो सकता है, शेष तीनों ब्लॉक अध्यक्षों के पद उनके विरोधी खेमे की झोली में जाएंगे।
विरोधी खेमा हो रहा हावी
ब्लॉक अध्यक्षों के चुनाव के बाद शहर बीकानेर के शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव होंगे। इसमें भी डॉ. कल्ला और विरोधी गुट तगड़ी जोर आजमाइश कर रहा है। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि वर्ष 1980 के बाद यह पहला मौका होगा जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नियुक्ति को लेकर डॉ. कल्ला गुट को तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। कल्ला गुट से इस पद के दावेदार वर्तमान शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत, पूर्व शहर कांग्रेस अध्यक्ष जनार्दन कल्ला तथा कन्हैयालाल कल्ला माने जा रहे हैं। वहीं विरोधी गुट से शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पूर्व महापौर भवानी शंकर शर्मा, बाबू जयशंकर जोशी, चंद्रप्रकाश गहलोत, गुलाम मुस्तफा (बाबू भाई), राजकुमार किराड़ू के नाम प्रमुखता के साथ सामने आ रहे हैं। कांग्रेस जातीय समीकरणों को देखते इस बार किसी स्वर्ण जाति के चेहरे को अध्यक्ष पद की कमान सौंप सकती है। ऐसा होने पर इस पद पर बाबू जयशंकर जोशी, भवानी शंकर शर्मा, जनार्दन कल्ला, राजकुमार किराड़ू और कन्हैयालाल कल्ला की ताजपोशी संभव है। अल्पसंख्यक वर्ग से मौका दिए जाने की स्थिति में गुलाम मुस्तफा के नाम पर सहमति बन सकती है। एक बार फिर ओबीसी वर्ग को ही बरकरार रखने की स्थिति में यशपाल गहलोत या चंद्रप्रकाश गहलोत के नाम सामने आ सकते है। सूत्रों की मानें तो इस बार शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के कद्दावर नेता कल्ला का विरोधी गुट ज्यादा भारी नजर आ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह इनका लामबंद होना माना जा रहा है। पिछले करीब एक महीने में स्थानीय स्तर से प्रदेश स्तर तक हुई कांग्रेस के पदाधिकारियों की बैठक में यह तस्वीर कई बार सामने आ चुकी है, जब विरोधी गुट वाले डॉ. कल्ला पर भारी पड़ते नजर आए। अब देखना यह है कि आखिर में कद्दावर नेता अपनी साख बचा पाते है या नहीं, यदि वे अपनी साख बचाने में सफल रहे तो आने वाले समय में निश्चित तौर पर संगठन में उनका कद काफी बढ़ा हुआ नजर आएगा।
...और चौड़े हो गई गुटबाजी
शहर कांग्रेस में गुटबाजी का खेल नया नहीं है। लोकसभा-विधानसभा के चुनाव हो या फिर स्थानीय निकायों के चुनाव। नेताओं के बीच आपसी गुटबाजी खुलकर सामने आ ही जाती है। पिछले दिनों जयपुर में भी यह गुटबाजी और उभरकर सामने आई। बीकानेर के संगठन चुनावों के प्रभारी डॉ. राधेश्याम शर्मा के समक्ष डॉ. कल्ला और बाबू जयशंकर जोशी के बीच हुई तीखी तकरार हर कांग्रेस कार्यकर्ता के जुबान चढ़ी हुई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक चुनाव प्रभारी के समक्ष डॉ. कल्ला ने बाबू जयशंकर जोशी की ओर मुखातिब होते हुए साफतौर पर कह दिया था कि इन्होंने तो विधानसभा चुनावों में मेरे विरोधियों का साथ दिया था। यह सुनकर जोशी भी चुप नहीं रहे। उन्होंने भी कल्ला पर आरोपों की झड़ी लगानी शुरू कर दी। उन्होंने विगत स्थानीय निकाय चुनावों में कुछ जगह पार्टी के प्रत्याशियों के हारने का ठीकरा सीधा कल्ला पर ही फोड़ दिया। यही नहीं, पूर्व कांग्रेसी गोपाल कृष्ण जोशी के पार्टी छोड़कर भाजपा में जाने का कारण भी उन्हीं को बता दिया। बाद में चुनाव प्रभारी ने समझाइश करके मामले को शांत करा दिया। लेकिन समूचे घटनाक्रम से चुनाव प्रभारी ने बीकानेर कांग्रेस की स्थिति अच्छी तरह से समझ ली।
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