बीकानेर, 16 मई। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के देशव्यापी आह्वान पर आज जिला कलेक्टर बीकानेर नम्रता वृष्णी को केंद्रीय उपभोक्ता मामलात् मंत्री के नाम एक ज्ञापन सौप कर अधिकतम खुदरा मूल्य एमआरपी को निर्धारित करने की सुस्पष्ट नीति बनाने की मांग की गई।
जिला कलेक्टर को ज्ञापन की जानकारी देते हुए प्रांत सचिव एडवोकेट मुकेश आचार्य ने बताया कि भारत सरकार ने 1990 में लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के तहत किसी भी डिब्बा बंद उत्पादन पर एमआरपी के अंकन को अनिवार्य किया इस एक्ट के अंतर्गत एमआरपी से अधिक मूल्य पर किसी भी उत्पाद को विक्रय करने को अपराध घोषित किया गया। परंतु एमआरपी के यह विडंबना ही है की एमआरपी का निर्धारण किस प्रकार हो इस संबंध में कानून कोई प्रभावी दिशा निर्देश नहीं दिया गया अतः बाजार से उत्पाद खरीदने वाला उपभोक्ता निर्माता के द्वारा निर्धारित एमआरपी पर शुल्क अदा करने के लिए बातें हो जाता है।
एमआरपी निर्धारण करने में सरकार की सीधी कोई भूमिका नहीं होने के कारण कई उत्पादों की गुणवत्ता के अनुचित राशि का अपव्यय, ग्राहक को अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए करना पड़ सकता है। अतः सरकार को स्वयं आगे आकर मेट्रोलॉजी एक्ट 1990 में संशोधन करते हुए एमआरपी निर्धारण के स्पष्ट नियमों का उल्लेख करना चाहिए और जब तक ऐसा नियम ना आए तब तक उत्पाद के निर्माता कंपनी से बाहर विक्रय के लिए निकलने पर लागू होने वाले प्रथम विक्रय मूल्य को पैकेज्ड आइटमों पर अंकन के द्वारा ग्राहकों को किसी भी उत्पाद के मूल्य संबंधी राहत प्रदान करनी चाहिए।
इस अवसर पर प्रांत सचिव एडवोकेट मुकेश आचार्य जिला रोजगार सृजन प्रमुख सीताराम प्रजापत महानगर अध्यक्ष संपत लाल सोनी एवं महानगर कोषाध्यक्ष नीरज सुथार तथा अन्य कार्यकर्ता गण उपस्थित थे।
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