boycott turkey के बावजूद हम पाकिस्तान के साथ है: एरदोगन, जानिए क्या -क्या और कितना है व्यापार भारत - तुर्की के बीच !
boycott turkey के बावजूद हम पाकिस्तान के साथ है: एरदोगन, जानिए क्या -क्या और कितना है व्यापार भारत - तुर्की के बीच !
भारत-तुर्की व्यापार पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की छाया: एक विश्लेषण
लेखक : आनंद आचार्य
भारत और तुर्की के बीच लंबे समय से मजबूत व्यापारिक संबंध रहे हैं, लेकिन हाल के घटनाक्रमों ने इन संबंधों पर असमंजस की छाया डाल दी है। वर्ष 2023 में दोनों देशों के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार लगभग 94,000 करोड़ रुपये (11.3 अरब डॉलर) का रहा। इसमें भारत ने तुर्की को 66,570 करोड़ रुपये (8.02 अरब डॉलर) के उत्पाद निर्यात किए, जबकि तुर्की से 27,250 करोड़ रुपये (3.28 अरब डॉलर) का आयात किया गया। इससे भारत को 39,320 करोड़ रुपये (4.74 अरब डॉलर) का व्यापार अधिशेष प्राप्त हुआ, जो इस द्विपक्षीय व्यापार में भारत की मजबूती को दर्शाता है। (स्रोत: tradingeconomics.com)
भारत से तुर्की को होने वाले प्रमुख निर्यातों में परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद, मोटर वाहन और उनके पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मशीनरी, जैविक रसायन, लोहे-स्टील के उत्पाद, मानव निर्मित फाइबर, कपड़ा और औषधियाँ शामिल हैं। वहीं तुर्की से भारत को मुख्य रूप से कच्चा पेट्रोलियम, मार्बल, ट्रैवर्टीन, सोना, नमक, प्लास्टर, अकार्बनिक रसायन, वनस्पति तेल और खाद्य मेवे आयात किए जाते हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, भारत का निर्यात तुर्की की तुलना में लगभग दोगुना है और यह संबंध भारत के लिए आर्थिक दृष्टि से लाभकारी रहा है।
लेकिन यह संतुलन अचानक डगमगाने लगा जब भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई की। इस अभियान के दौरान तुर्की और अज़रबैजान ने खुले रूप से पाकिस्तान का समर्थन किया, जिससे भारत में विरोध की लहर फैल गई। इसका सीधा असर व्यापार और पर्यटन क्षेत्र पर पड़ा। उदयपुर के मार्बल व्यापारियों ने तुर्की से लगभग ₹3,000 करोड़ के मार्बल आयात को स्थगित करने का निर्णय लिया, जिसे राष्ट्रहित में एक आर्थिक जवाब माना गया। (स्रोत: indiatimes.com)
इसी के साथ पर्यटन उद्योग में भी प्रतिक्रिया देखने को मिली। प्रमुख ट्रैवल कंपनियों जैसे EaseMyTrip, Cox & Kings, और Ixigo ने तुर्की और अज़रबैजान के लिए पैकेज बुकिंग्स बंद कर दीं। MakeMyTrip की रिपोर्ट के अनुसार इन देशों के लिए रद्दीकरण में 250% तक की वृद्धि हुई और नई बुकिंग्स में 60% तक की गिरावट दर्ज की गई। (स्रोत: economictimes.indiatimes.com)
सिर्फ व्यापारी या पर्यटक ही नहीं, बल्कि परिवहन संगठनों ने भी तुर्की और अज़रबैजान के सामान के ट्रांसपोर्टेशन का बहिष्कार किया। इंदौर ट्रक ऑपरेटर यूनियन ने इन देशों से संबंधित माल लाने-ले जाने से इनकार कर दिया है, जो यह दर्शाता है कि विरोध सिर्फ विचारधारा तक सीमित नहीं बल्कि व्यापारिक ज़मीनी स्तर तक फैल चुका है। (स्रोत: timesofindia.indiatimes.com)
हाल के दो दिनों में यह बहिष्कार और तेज हो गया है। बिहार के मुजफ्फरपुर के मुस्लिम व्यापारियों ने भी तुर्की के साथ हर तरह का व्यापार समाप्त करने की मांग उठाई है। मध्यप्रदेश के इंदौर में फल व्यापारियों ने टर्किश सेब का खुला बहिष्कार शुरू कर दिया है। पुणे के एक व्यापारी को तुर्की से माल मंगाने से इनकार करने पर पाकिस्तान से धमकियां तक मिली हैं। वहीं ऑल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन (AICWA) ने तुर्की और अज़रबैजान का फिल्म और मनोरंजन क्षेत्र में औपचारिक बहिष्कार घोषित कर दिया है। (स्रोत: navbharattimes.indiatimes.com, marathi.indiatimes.com)
इस जनप्रतिरोध की पृष्ठभूमि में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन का बयान भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के प्रति अपना समर्थन दोहराया और कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ परोक्ष आलोचना की। हालांकि सितंबर 2023 में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान उन्होंने भारत को दक्षिण एशिया में तुर्की का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बताते हुए सहयोग की संभावनाओं की बात भी कही थी। यह विरोधाभासी रवैया ही भारत में जनाक्रोश का कारण बना है। (स्रोत: ndtv.in, navbharattimes.indiatimes.com)
इन घटनाओं के बीच तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो भारत ने जहां कूटनीतिक प्रतिक्रिया के साथ-साथ आर्थिक रणनीति का भी इस्तेमाल किया है, वहीं तुर्की का पक्ष व्यापारिक दृष्टि से कमजोर स्थिति में दिखाई देता है। भारत के पास तुर्की के आयात पर निर्भरता सीमित है, जबकि तुर्की के कई उद्योगों को भारत के निर्यात की आवश्यकता बनी रहती है।
मई 2025 में डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया ₹85.27 पर और तुर्की लीरा ₺15.3 पर स्थिर है, जो यह भी संकेत देता है कि दोनों देशों की मुद्राओं में स्थायित्व बनाए रखने के लिए व्यापारिक भागीदारी का संतुलन आवश्यक है।
निष्कर्षतः, कहा जा सकता है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत और तुर्की के रिश्तों में आई खटास ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कूटनीति और व्यापार अब अलग-अलग नहीं रह गए हैं। भारत ने अपने आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए राष्ट्रीय स्वाभिमान का परिचय दिया है। यदि तुर्की भविष्य में संतुलित रुख अपनाता है और पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर सन्तुलित नीति अपनाता है, तो संबंध सामान्य हो सकते हैं, अन्यथा यह ठहराव लंबे समय तक दोनों देशों के व्यापारिक हितों को प्रभावित करता रहेगा।
India-Turkey Trade Feels the Heat of 'Operation Sindoor' as geopolitical tensions flare. In a swift and unified response, India Responds Economically to Turkey’s Pro-Pakistan Stand, triggering a nationwide sentiment to Boycott Turkey: Trade, Travel and Trust at Crossroads. From Marble to Media, imports have been either halted or under review, especially after Turkey’s controversial remarks on Kashmir. The ₹94,000 Cr India-Turkey Trade has come under strain, as Turkey Faces Backlash in India, both from businesses and citizens. This growing wave of Economic Nationalism signals that India Rethinks Turkey Ties seriously, sending a sharp Economic Warning to the Erdogan Government. With reactions spreading From Apples to Airlines, the ‘Operation Sindoor’ Fallout is now reshaping diplomatic and economic equations, as India Tightens Trade With Turkey in clear defiance.