राजस्थान सरकार का बड़ा कदम: कृषि पढ़ने वाली छात्राओं को मिलेगी हर साल प्रोत्साहन राशि
बीकानेर, 14 मई। राज्य सरकार ने छात्राओं को कृषि शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक और दूरगामी निर्णय लिया है, जिसके तहत अब राजस्थान की आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की छात्राओं को कक्षा 11वीं से लेकर पीएचडी तक कृषि विषय में पढ़ाई करने पर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की बालिकाओं को कृषि क्षेत्र की ओर आकर्षित करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। यह योजना उन छात्राओं के लिए है जो दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 11वीं में कृषि विषय का चयन करती हैं और उसी विषय में आगे उच्च शिक्षा तक पढ़ाई करना चाहती हैं। इस योजना के तहत आवेदन की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2026 निर्धारित की गई है।
प्रोत्साहन राशि की राशि शैक्षिक स्तर के अनुसार निर्धारित की गई है। कक्षा 11वीं और 12वीं में कृषि विषय लेकर पढ़ने वाली छात्राओं को 15,000 रुपये प्रतिवर्ष मिलेंगे। horticulture, dairy, agricultural engineering और food processing जैसे विषयों में स्नातक कर रही छात्राओं को चार वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए 25,000 रुपये प्रतिवर्ष की सहायता दी जाएगी। जोबनेर स्थित श्री कर्ण नरेन्द्र व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय में बीएससी कृषि एवं एग्री बिजनेस कर रही छात्राओं को भी यही राशि मिलेगी, जो पांच वर्षों तक जारी रहेगी। एमएससी कृषि में अध्ययनरत छात्राओं को 25,000 रुपये प्रतिवर्ष दो वर्षों तक तथा कृषि विषय में पीएचडी करने वाली छात्राओं को 40,000 रुपये प्रतिवर्ष अधिकतम तीन वर्षों के लिए दिए जाएंगे।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवश्यक है कि छात्रा राजस्थान की मूल निवासी हो और किसी सरकारी या राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्था में अध्ययनरत हो। आवेदन के लिए मूल निवास प्रमाण-पत्र तथा पिछले वर्ष की अंकतालिका जरूरी दस्तावेज होंगे। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है जिसे छात्राएं स्वयं की एसएसओ आईडी से 'राज किसान साथी पोर्टल' पर कर सकती हैं, या पास के ई-मित्र केंद्र की सहायता ले सकती हैं।
आवेदन के बाद, संबंधित कृषि अधिकारी द्वारा जांच की जाएगी और फिर आवेदन संबंधित संस्था प्रमुख को अग्रेषित किया जाएगा, जो छात्रा की अध्ययन स्थिति की पुष्टि करते हुए ई-साइन सर्टिफिकेट जारी करेगा। यदि किसी छात्रा ने पूर्व में असफल होने के बाद पुनः उसी कक्षा में प्रवेश लिया है या सत्र के बीच पढ़ाई छोड़ दी है, तो उसे योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
ई-साइन सर्टिफिकेट जारी करने में किसी प्रकार की गलती या गलत प्रमाणन की जिम्मेदारी संस्था प्रमुख की होगी। सही प्रक्रिया के अंतर्गत प्रमाणित आवेदनों को वित्तीय स्वीकृति जिला परिषद के संयुक्त निदेशक (कृषि विस्तार) द्वारा दी जाएगी। एक वित्तीय वर्ष में आवेदन किए गए छात्राओं के लिए उसी वर्ष में ई-साइन सर्टिफिकेट जारी न होने की स्थिति में प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाएगी।
यह योजना ना केवल छात्राओं को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर देगी, बल्कि उन्हें कृषि क्षेत्र से जोड़कर आत्मनिर्भर भारत की दिशा में मजबूत कदम सिद्ध होगी।