मंजिले उनको मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है,
पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों से ऊँची उडान होती है।
ये पंक्तियाँ बीकानेर की रश्मि दवे पर चरितार्थ होती है। चाँद रतन दवे और अरूणकला दवे की पुत्री रश्मि बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी और लगन की पक्की थी। जिद्दी रश्मि के मन में जो काम करने की इच्छा हो जाती उसे पूरा करके ही दम लेती थी। रश्मि अपनी कक्षा में हमेशा से ही प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुई है। हमेशा कुछ हटकर करने की चाह ने रश्मि को एन सी सी में प्रवेश लेन के लिए प्रेरित किया और यहाँ से शुरू हुई रश्मि कर सफलता की यात्रा।
सन् २००४ में रश्मि का चयन दिल्ली में आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड के लिये हुआ। सभी केम्पों में अपनी सशक्त दावेदारी के साथ एन.सी.सी. राजस्थान टीम का नेतृत्व करते हुए दिल्ली पंहुची। दिल्ली में राष्ट्रपति सलामी परेड के लिए राज पथ पर चलने वाली एन.सी.सी भारतीय टीम की परेड कमाण्डर रिर्जव चुनी गई। साथ ही चेरी ब्लोसम के खिताब से नवाजा गया। रश्मि का चयन भारत की ओर से विदेश जाने वाली एन.सी.सी टीम वी.ई.पी. में हुआ। वहां उसने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हुए ’’समूह गान‘‘ में स्वर्ण पदक हासिल किया।
सन् २००५ में रश्मि का चयन राजस्थान की एन.सी.सी होंर्स राईडिंग टीम में हुआ। रश्मि राजस्थान की पहली लडकी थी जिसका चयन आर.डी.सी. की पैदल परेड तथा आर.डी.सी होर्स राईडिंग टीम दोनों में हुआ। राजस्थान की होर्स राईडिंग टीम में २ लडकियां तथा ४ लडके थे, इस टीम में एक, उसका बडा भाई नवीन दवे भी था। सीनियर अंडर ऑफिसर रश्मि ने होर्स राईडिंग में भी कमाल का जौहर दिखाते हुए अपने साहस के दम पर ’’टेंट पेगिंग‘‘ इवेन्ट में राष्ट्रीय स्तर का ’’स्वर्णपदक‘‘ हासिल किया। बहन भाई के दो स्वर्ण पदकों से राजस्थान की टीम ने इतिहास में पहली बार भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
टेंट पेगिंग खेल बहुत ही खतरनाक होता है। इस इवेंट में घोडे को एक हाथ से कंट्रोल करके १८० किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से दौडते हुए, दूसरे हाथ से जमीन पर पडी छोटी-सी गत्ते की टुकडी को भाले की नोंक में पिरोकर उठाते हुए कौशल का परिचय देना होता है जिसमें रश्मि ने अप्रत्याशित ढंग से स्वर्णीम सफलता हासिल की।
तब तक रश्मि की सेना में आर्मी ऑफिसर बनने की इच्चा प्रबल से प्रबलतम हो गई थी। उसका यह लक्ष्य उसके करीब आ रहा था। बीकानेर (राजस्थान) शहर की पहली ’’लेडी लेफ्टिनेंट‘‘ बनने का सपना लिए उसने सन् २००६ की ’’वूमेन स्पेशल एंट्री‘‘ की परीक्षा-इंटरव्यू दिया। जिसे उसने न सिर्फ पास किया बल्कि पूरे भारत की मेरिट में तीसरे स्थान पर आकर रश्मि ने अपने शहर व श्रीमाली समाज का नाम रोशन किया। इस उपलब्धि पर श्रीमाली समाज बीकानेरने रश्मि का सम्मानित किया और उसके पिता श्री चाँदरतन देव सुपुत्र स्वनामधन्य पं. राम कृष्ण देव का भी अभिन्नदन किया गया।
रश्मि ने एन.सी.सी का ’’बी‘‘ सर्टीफिकेट ’’ए‘‘ ग्रेड से तथा ’’सी‘‘ सर्टीफिकेट ’’ए‘‘ ग्रेड से किया।
रश्मि ने न सिर्फ अपने लक्ष्य की और ध्यान दिया बल्कि अपनी पढाई एम.एससी (कम्प्यूटर साईंस) प्रिवीयस में मेरिट में तीसरा स्थान प्राप्त किया। रश्मि खेलकूद में विश्व विद्यालयी प्रतियोगिताओं में भी बढ चढ कर हिस्सा लेती रही है। जिसमें रश्मि ने विश्व विधालय की भारोतोलन प्रतियोगिता में कांस्य पदक, तीरअंदाजी प्रतियोगिता में स्वर्णपदक और कास्य पदक तथा लॉन टेनिस प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किये। अन्तर विश्वविद्यालय की लॉन टेनिस प्रतियोगिता के लिए चेन्नई तथा तीरअंदाजी प्रतियोगिता के लिए इम्फाल जाने हेतु चयन हुआ।
वर्तमान में रश्मि ’’ऑफीसर्स ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई में लेफ्टिनेंट का प्रशिक्षण लेते हुए हार्स राईडिंग में मेरिट कार्ड हासिल किया। इस अवसर पर प्रशिक्षण अकादमी के कमान्डेन्ट ने गोल्ड मेडल (मेडल सर्मनी में) दिया। ८० महिला केडेटों में हार्स राईडिंग (जम्प्स) का मेरिट कार्ड प्राप्त करने वाली एक मात्र रश्मि दवे है।
२२ सितम्बर,२००७ को पासिंग आऊट परेड, पिपिंग सर्मनी में माननीय राष्ट्रपति महोदय की ओस से लेफ्टिनेट जनरल सुशील गुप्ता ने कमीशन-शपथ दिलाई (आर्मी ऑफीसर-भारतीय सेना में) रश्मि की पोस्टिंग ओर्डिनेंस (ए.ओ.सी) में गोवाहाटी (आसाम) की गई है।
Article by : Shyam Narayan Ranga