कन्या भ्रूण हत्या रोकने के संबध में राज्य सरकार ने जारी किए विस्तृत दिशा निर्देश
जिले में कडाई से लागू किया जाएगा पीसीपीएनडीटी एक्ट - कलक्टर
डूंगरपुर 15 सितंबर/राज्य में निरंतर प्रभावित हो रहे स्त्री पुरूष अनुपात पर चिंता जाहिर करते हुए राज्य सरकार द्वारा कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम हेतु लागू अधिनियम पीसीपीएनडीटी एक्ट के संबंध में विशेष दिशा निर्देश जारी किए हैं। इस संबंध में जिला कलक्टर नीरज के. पवन ने बताया है कि कन्याओं की भ्रूण हत्या रोकथाम की दिशा में लागू एक्ट का जिले म सख्ती से पालन किया जाएगा। इस संबंध मे कलक्टर ने पंचायत समितियों के प्रधान, सरपंचों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों से भी आह्वान किया है कि वे भी सरकारी तंत्र का पूर्ण सहयोग करते हुए कन्या भ्रूण हत्या को रोकने हेतु आगे आएं और आवश्यक सहयोग कर।
कलक्टर पवन ने बताया कि राज्य में वर्तमान में प्रति एक हजार पुरूषों पर महिलाओं का अनुपात 9॰9 है जो कि शौचनीय है। चिंता का विषय यह है कि वर्तमान में ॰ से 6 वर्ष की आयु के बालक-बालिकाओं की संख्या में यह अन्तर और अधिक बढ रहा है। ऐसी परिस्थिति में यदि यह अनुपात नियंत्रित नहीं होता है तो आने वाले कुछ समय में यह स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
उन्होंने इस एक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसका मूल उद्देश्य गर्भस्थ शिशु के लिंग चयन को रोकना है। इससंबंध में यह स्पष्ट किया गया है कि इस अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकरण करवाये जाने पर ही प्रयोगशालाएं अथवा परामर्श केन्द्र या क्लीनीक कार्य कर सकेंगे। अल्ट्रा सोनोग्राफी करने वाले चिकित्सक को नियमानुसार फॉर्म एफ एवं जी के अनुसार आवश्यक सहमति प्राप्त करेगा। ऐसा नह करने पर नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और नियमानुसार दण्डित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस हेतु जिला स्तर पर समुचित प्राधिकारी जिला कलक्टर एवं उपखण्ड स्तर पर समुचित प्राधिकारी उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी है। इसके अतिरिक्त जिला स्तरीय एवं उपखण्ड स्तरीय सलाहकार समिति का गठन किया गया है। जिसमें आठ अन्य सदस्य ह।
उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के अन्तर्गत पंजीयन नहीं करवाने पर केन्द्र का संचालन करना अथवा चिकित्सक द्वारा सलाह देना, लिंग चयन करने की सुविधा देना, स्थान उपलब्ध कराना अथवा विज्ञापन देना अपराध है तथा इसका उल्लंघन करने पर तीन वर्ष तक की सजा अथवा 1॰ हजार रूपए तक का जुर्माना है, एवं पुनरावृत्ति होने पर 5 साल का कारावास एवं 5॰ हजार रूपए जुर्माना है। इसके अनुसार विभिन्न परिस्थितियों में पंजीकरण को कुछ वर्षों तक अथवा स्थायी रूप से भी हटाया जा सकता है। उन्हने यह भी बताया कि इसके अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति लिंग चयन हेतु किसी विशेषज्ञ अथवा केन्द्र से सहायता प्राप्त करता है तो उसे तीन वर्ष तक की सजा और 5॰ हजार रूपए जुर्माना किया जा सकता है तथा पुनरावृत्ति होने पर 5 वर्ष की सजा अथवा 1 लाख रूपए तक जुर्माने की सजा हो सकती है।
इस संबध में उन्हने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों पर संबंधित समुचित प्राधिकारी द्वारा अपराध के प्रसंज्ञान हेतु लिखित परिवाद पेश करेगा। इस संबंध में उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति, शिकायत कर्ता, संगठन, संगठन कार्यकर्ता, समुचित प्राधिकारी को लिखित में सुसंगत दस्तावेज देकर शिकायत दर्ज करवा सकता है।
कलक्टर ने बताया कि इसके अन्तर्गत सलाहकार समितियों के सदस्यों को नियमानुसार भत्ता देय होगा। उन्होंने समस्त राज्य कर्मचारियों को भी निर्देशित किया है कि वे राष्ट्रहित में इस अधिनियम की पालना सुनिश्चित करावें।
कलक्टर ने जिलेवासियों से आग्रह किया है कि अधिनियम के उल्लंघन के संबध में अपंजीकृत एवं पंजीकृत संस्थाओं से संबंधित शिकायत उपखण्ड स्तर पर उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिला स्तर पर जिला कलक्टर को कर इस अधिनियम की पालना सुनिश्चित करने में सहयोग करें।