देश में शान्ति के लिए सरकार आदिवासियों को न्याय दें
आदिवासी बचाओ-पर्यावरण बचाओ, लोकतन्त्र बचाओ-देश बचाओ‘‘ यात्रा का चित्तौडगढ में स्वागत गांधीवादी विचारक हिंमाशू कुमार ने ’’आदिवासी बचाओ-पर्यावरण बचाओ, लोकतन्त्र बचाओ-देश बचाओ‘‘ यात्रा के दरान चित्तौडगढ में प्रयास द्वारा आयोजित गोष्ठी में छत्तीसगढ के दांतेवाडा जिले में आदिवासियों की दयनीय स्थिति का चित्रण करते हुए कहा कि देश में शान्ति और खुशहाली कायम करने के लिए सरकार आदिवासियों को न्याय दें। सरकार आदिवासियों के हितो की रक्षा नही वरन् उनको प्रताडित कर रही है। खनीज सम्पदा हासिल करने के लिए आदिवासियों के घर जलाना, खाद्यान्न जलाना, उनके घरो पर हमले कर उन्हें बेदखल करना आम बात है। महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गो और नौजवानों के साथ अत्याचार बढ रहा है। इससे लोगों में आक्रोश फैल रहा है।२७ जून २०१० को, आपातकाल के ठीक दूसरे दिन से हिमांशू कुमार ने अपने दो साथियों (अभय कुमार वनवासी सेवा परिषद् और मिथिलेश कुमार) के साथ दिल्ली के राजघाट से भारत के लोगों को संदेश देने के लिए एक साइकिल यात्रा शुरू की है। यात्रा के दौरान उनका पहला राज्य हरियाणा था उसके बाद पंजाब होते हुए १७ जुलाई को उन्होंने सांगरिया, हनुमानगढ से राजस्थान में प्रवेश किया हैं। राजस्थान में वे एक महिना रहेंगे और १८ अगस्त, २०१० गुजरात के लिए प्रस्थान करेंगे।**हिमांशु कुमार उनके कार्यो का संक्षिप्त में परिचय देते हुए कहा कि वहां पर आदिवासियों के न्याय के लिए किये जा रहे संघर्षों में अहिंसा के सिद्धान्तों को स्थापित करने के लिए वह दांतेवाडा वर्ष १९९१ में गये थे। उनकी गुरू निर्माला देशपाण्डे (गांधीवादी व सर्वोदयी नेता) जी के कहने पे वहां गये थे। उन्होंने वहां पर विकास से संबंधी कार्य किये हैं, जैसे जंगल संबंधी अधिकार कानून की क्रियान्विति, नरेगा, भोजन का अधिकार, बच्चों से जुडी योजनाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि। जब राज्य सरकार के द्वारा आदिवासियों पर माओवादियों के नाम पर कई प्रकार के अत्याचार किये जा रहे थे तब हिमांशु ने उनके साथ खडे होकर उन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया। उन्होने राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, बिलासपुर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्टस् फाइल करना शुरू किया तब वे सब उनको वहां से बाहर निकालने का प्रयास राज्य सरकार व पुलिस ने किया। हिमांशु ने कहा कि जहां- जहां पर वे जा रहे हैं, युवा और बुजुर्ग उनके साथ साइकिल पर एक गांव से दूसरे या कुछ दूर तक यात्रा कर रहे हैं। पंजाब में बारिश और बाढ के हालात के कारण उन्होंने अपनी यात्रा साइकिल, बस या जीप से पूरा किया।