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इन्टरनेट पर बढी राजस्थानी भाषा की मान्यता मांग
इन्टरनेट की दूनियाँ मे सोशियल नेटवरि्कंग के रूप जाने पहचाने वाले पाटों जैसे फेसबूक, ऑर्कुट इत्यादि पर राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए की जा रही है जोरदार आजमाईश
बीकानेर, राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर इन्टरनेट पर काफी जोर-शोर से प्रयास चल रहे है। इन्टरनेट की दूनियाँ मे सोशियल नेटवरि्कंग के रूप जाने पहचाने वाले पाटों जैसे फेसबूक, ऑर्कुट इत्यादि पर केंद्र और राज्य सरकार से अब राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची के माध्यम से मातृभाषा का दर्जा देने की मांग मान्यता के लिए जोरदार आजमाईश की जा रही है। राजस्थान भर के शहरों और तहसीलों के साथ ही प्रवासी राजस्थानी इन साइटों विशेषकर फेसबूक से जुडे हुए लोग राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर काफी संजीदा होता जा रहे है।
इसकी मान्यता को लेकर जहाँ कॉज अप्लीकेशन मे दस हजार से ऊपर सदस्य हो गये है वहीं अब इसके जीब्राल्टर श्रेणी मे आने की तैयारीयाँ चल रही है जिसमे सत्ताईस हजार सदस्य होने होते है।
राजस्थानी लेखकों मे हनुमानगढ के ओम पुरोहित कागद, नोहर के डॉ सत्यनारायण सोनी, बीकानेर के नीरज दईयां सहित हजारों लोग राजस्थानी की मान्यता हेतू इसके नियमित उपयोग पर बल देते है। अभी हाल ही मे लेखक सत्यानारायण सोनी ने फेसबुक के जरियें राजस्थानियों प्रेमियों के लिए राजस्थानि भाषा के मान्यता के लिए एक पेम्फलेट रखा है - http://www.facebook.com/photo.php?fbid=177541205600233&set=t.100000330644312 जिसमे उन्होने इक्कीस फरवरी - मातृभाषा दिवस तक सभी को अपने अपने क्षेत्रों मे अपने स्तर पर इसके प्रकाशन और वितरण की अपील की है। अपनी प्रोफाईल मे इस पेम्फलेट के लगाते ही लेखक सोनी को टीवी कलाकार अमर शर्मा, रघुवीर सिंह, विनोद नोखवाल, विजय चौधरी, विनोद सारस्वत, गुजराज के नारायण सिंह देवल सहित सैकडो लोगो ने इसके प्रकाशन व वितरण को समर्थन दिया है।
राजस्थानि प्रेमियों का ई-कम्प्युनिकेशन अगर इसी स्थिति से चलता रहा तो आने वाले समय मे यह आन्दोलन आपको संसद के सामने भी होता भी दिखेगा।
सोनी के पेम्फलेट के समर्थन मे मिले कुछ टिप्पणियाँ