पारम्परिक गीत,नृत्य एवं गोठ के साथ'म्हारी गणगौर उत्सव' सम्पन्न

'आओ धरती पर इण बा लेकर नयो कोई अवतार, थानें पूजो बारम्बार मनसा पूरोजी'

बीकानेर। रमक झमक में आयोजित दो दिवसीय 'म्हारी गणगौर उत्सव' गीत,नृत्य एवं गोठ के साथ सम्पन्न हुआ।
रमक झमक की लक्ष्मी देवी ओझा ने बताया कि श्रीमती संतोष आचार्य,श्रीमती भंवरी देवी छंगाणी, सुशीला देवी आचार्य, प्रीति ओझा ने गणगौर के सुबह में गाए जाने वाले गीत, रामप्यारी चूरा की पार्टी  ने दोपहर के 'बासा' व पानी पिलाने के गीतों की प्रस्तुतियां दी वहीं  पूजा आचार्य ,फूनी किराड़ू एवं  सुधा पुरोहित की गणगौर महिला मण्डली ने 'इणगी री त्यों कीर्तयां भंवरजी इणगी ढल आई है'  तथा 'इसर जी तो पेचो बांधे,गवरजा बाई पेच संवारे ओ राज' सहित इसर जी के भांग गीतों की प्रस्तुतियां दी इसके साथ ही समापन पर सभी महिलाओं ने सामूहिक रूप से कोलकाता के लोक कवि और गणगौर गीतों के लेखक स्व.श्री घनश्यामजी आचार्य द्वारा रचित गीत 'आओ धरती पर इण बार लेकर नयो कोई अवतार थानें पूजों बारम्बार मनसा पूरोजी'  गा कर मां गवरजा से सबकी कामना पूरी करने की प्रार्थना की ।

 उपस्थित अन्य महिलाओं ने भी साथ में टेर भरी व गीत साथ दिया। आयोजन में बालिकाओं युवतियों के साथ वरिष्ठ वर्ग की महिलाओं ने गवरजा के गीत पर  नृत्य किया।  बालिका नियति ओझा,कु.सिद्धि जोशी ने गवरजा गीतों की पैरोडी पर नृत्य किया। वयोवृद्ध श्रीमती रामकंवरी,श्रीमती संगीता देवी ने भी गणगौर के समक्ष भावमय हो घूमर नृत्य भी किया।
       इस अवसर पर माँ गवरजा के ढोकला रसमधुरी भुजिया व पान का गोठ भोग लगाया गया ।  रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा 'भैरूं' ने दो दिवस में आयोजन में भाग लेने के लिये आभार व्यक्त किया।

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