बीकानेर। सत्य साधना आसक्ति से मुक्ति का मार्ग है। जब साधक सत्य साधना का अभ्यास करता है तो वह अपने मन को आसक्ति से बचाने का कर्म कर रहा होता है। मन में व्याप्त विकारों के मूल में आसक्ति ही होती है। साधना से व्यक्ति इस जड को मिटाता चला जाता है। धैर्य, पुरुषार्थ एवं नियमित प्रयास से मन की इच्छाओं से बचने की कला, व्यक्ति सत्य साधना से सीखता है। विकारों से ज्यों ज्यों छुटकारा मिलता है, त्यों त्यों आसक्ति का विकार कमजोर होता जाता है। साधना पथ का राही साधक मैं और मेरा के...
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