बीकानेर में साकार होगी प्रदेश की संस्कृति, एक मंच पर देखने को मिलेंगे कला के कई रंग, धरणीधर में 30-31 मार्च को जुटेंगे 100 अधिक लोक कलाकार, ‘कला रंग राग’ का होगा समागम, गूंजेंगे गणगौर, घूमर सहित लोक गीत...
बीकानेर, 27 लोक गीतों की धुनों पर थिरकते पांव। तो कानों में मिठास घोलते लुप्त प्राय हो रहे वाद्य यंत्रों की लोक धुनें। कैनवास पर एक साथ कई चित्रकार उकेरेंगे अपनी कला। अवसर होगा बीकानेर की सांस्कृतिक संस्थान लोकायन और राजस्थान कला एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले दो दिवसीय ‘कला रंग राग’ कार्यक्रम का। इसका साक्षी बनेगा धरणीधर का हेरिटेज मुक्ताकाश प्रांगण। जहां पर 30 और 31 मार्च को लोक कला और संस्कृति साकार होगी। लोकायन के अध्यक्ष महावीर स्वामी ने बताया कि इस महोत्सव में बीकानेर और आस पास के ग्रामीण इलाकों के 100 से ज्यादा लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। आयोजन से जुड़े रवि शर्मा के अनुसार कार्यक्रम में लोक संगीत, लोक वाद्यों, लोक नृत्यों और सांस्कृतिक विधाओं से जुड़े कई लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। शाम 7 बजे से होने वाले इस कला महोत्सव में प्रवेश निशुल्क रहेगा। आयोजन को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
कैनवास पर उकेरेंगे संस्कृति के रंग
पहले दिन 30 मार्च को बीकानेर के तीस से अधिक चित्रकार ‘लोक रंग’ कार्यशाला में बीकानेर की लोक संस्कृति और धरोहरों से जुड़े चित्रों को केनवास पर साकार करेंगे। इन चित्रों की प्रदर्शनी दो दिन लगाई जाएगी। जो आम जनता के अवलोकन के लिए खुली रहेगी। कार्यशाला सुबह 10 से 5 बजे तक चलेगी।
यह रहेंगे मुख्य आकर्षण...
दो दिवसीय कला रंग में आमजन को राजस्थान के पारम्परिक नृत्य शैलियों और वाद्य यंत्र देखने को मिलेंगे। इसमें मुख्य रूप से जयपुर के ग्रुप की और से घूमर, चकरी, भंवई और मंजीरा नृत्यों की प्रस्तुति दी जाएगी। साथ ही राजस्थान के लोक गायन की मुख्य शैलियां भी सुनने को मिलेगी। इसमें भोपा, सूफी, मांड, लंगा, मांगणियार, मिरासी,गणगौर,हवेली संगीत के कलाकार भी अपना जादू बिखेरेंगे। महोत्सव में विशेष रूप से राजस्थान के पारम्परिक लोक वाद्यों कमायचा, डेरूं, सारंगी, नगाड़ा, मोरचंग, भपंग, मसक बजाने वाले प्रसिद्ध लोक कलाकार बीकानेर, पूगल, जैसलमेर, बाड़मेर, पाबूसर से आएंगे। महोत्सव में मीरा, कबीर और सूरदास के भजनों की प्रस्तुतियां भी बीकानेर के कलाकार देंगे।
लोक कलाओं के संरक्षण उद्देश्य
महावीर स्वामी ने बताया लोक कला और संस्कृति को संरक्षित रखना ही मुख्य उद्देश्य है। इसके लिए लोकायन बीते 25 साल से लगातार प्रयासरत है। इसमें बीकानेर की लोक कलाओं, पारम्परिक संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहरों के संवर्द्धन और सरंक्षण की दिशा में सक्रियता के साथ भागीदारी निभा रही है। संस्था के तत्वावधान में इससे पूर्व वर्ष 2021 में भी इस कला महोत्सव का आयोजन किया गया था। आयोजन समिति में रवि शर्मा, डॉ राकेश किराड़ूू, श्रीबल्लभ पुरोहित, विकास व्यास और अनिकेत कच्छावा भागीदारी निभा रहे हैं।