बीटी कपास में गुलाबी सुण्डी रोग प्रबन्धन पर कार्यशाला आयोजित

कृषि विभाग ने निरीक्षकों की टीम बनाकर लिए बीटी कपास के 70 नमूने
124 ग्राम पंचायतों में होगी गुलाबी सुण्डी रोग प्रबन्धन पर कार्यशालाएं
बीकानेर, 7 मई। बीटी कॉटन में गुलाबी सुण्डी रोग नियंत्रण विषय पर मंगलवार को कृषि कार्यालय सभागार में जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई।
संयुक्त निदेशक कैलाश चौधरी ने कहा कि बीटी कॉटन में लगने वाले गुलाबी सुंडी रोग से बचाव के लिए किसानों को इस रोग के प्रकोप के निगरानी, नियंत्रण के संबंध में विशेष जानकारी फील्ड फक्शनरीज द्वारा दी जाए और उन्हें जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि किसान अज्ञात स्त्रोत द्वारा प्राप्त कपास की किसी भी किस्म के बीज की बुवाई ना करें। नकली बीज की रोकथाम के लिए कृषि विभाग द्वारा कमेटी गठित कर समय-समय पर बीज विक्रेताओं का निरीक्षण कर रही है अब तक 70 नमूने लिए जा चुके हैं।अमानक पाए जाने पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही की जाएगी। चौधरी ने कहा कि कृषि विभाग की टीम फील्ड विजिट करे, किसानों से फसलों का फीडबैक लें।‌ उन्होंने सहायक निदेशक कृषि को भी गुलाबी सुण्डी के प्रबंधन हेतु जागरूकता लाने के लिए काश्तकारों एवं कपास विक्रेता कंपनियों के साथ बैठक करने के निर्देश दिए।
जिससे जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से आगामी कपास फसलों में गुलाबी सुण्डी के प्रकोप को समाप्त कर फसलों को व्यापक नुकसान से बचाया जा सके।
सहायक निदेशक भैराराम गोदारा ने कहा कि कॉटन की बुवाई से पूर्व प्रारम्भ हो चुकी है, कॉटन जिनिंग मिलों के मालिक तथा कृषक को बीटी कॉटन के अवशेष प्रबंधन के लिए जिनिंग उपरान्त अवशेष सामग्री को नष्ट करें। बीटी कॉटन की लकड़ियों का प्रबंधन सही तरीके से करें, ताकि गुलाबी सुण्डी के प्रकोप को शुरूआती अवस्था में रोका जा सके। 
सहायक निदेशक अमर सिंह गिल ने बताया कि जिले में 30 मई तक 124 ग्राम पंचायत में गुलाबी सुण्डी के नियत्रंण व प्रबन्धन पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। कृषकों को गुलाबी सुण्डी के प्रबन्धन विषय पर निःशुल्क पम्पलैट व साहित्य वितरण किया जाऐगें। उन्होंने कृषकों, विक्रेताओं एवं फील्ड स्टाफ से आगामी कार्यशालाओं में अधिक से अधिक किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
राशि सीड्स के संतोष नायक ने गुलाबी सुण्डी के कॉटन की फसल को होने वाले नुकसान एवं कीट के जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भण्डारित कपास को ढक कर रखें, जिससे गुलाबी सुण्डी के पतंगे खेतों में फसल पर अण्डे नहीं दे सके। उन्होंने बताया कि जिले में जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान के कारण नमी के काम होने से व जिनिंग मिलों में रेशों एवं बिनौला निकाले के लिए लाये गये कच्चे कपास से गुलाबी सुंडी का प्रभाव अधिक होता है। इसलिए जिनिंग मिल मालिकों द्वारा कपास की अवशेष सामग्री को समय पर नष्ट किया जाना आवश्यक है।
कृषि अधिकारी महेन्द्र प्रताप ने बताया कि कृषि एवं उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के इच्छुक किसान भाई राज किसान पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने कीट नियंत्रण के लिए रसायनिक कीटनाशक की भी जानकारी प्रदान की। कार्यशाला में कृषि विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों, बीटी कॉटन उत्पादक कम्पनियों के प्रतिनिधी एवं किसानों ने भाग लिया। कार्यशाला का संचालन कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत ने किया।

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