एमजीएस यूनिवर्सिटी में छात्रा बनी फुटबाॅल



बीकानेर, 6 मई। महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी में एक छात्रा को फुटबाॅल की तरह बनाया हुआ है। जी हां दो विभाग  लाॅ काॅलेज और लाइब्रेरी है जिसमे एलएलएम की एक छात्रा रेखा व्यास को नो ड्यूज लेकर अपना जमा पैसा वापस लेना है।

मामला यूं ही की विश्वविद्यालय की केंद्रीय लाइब्रेरी से विद्यार्थियों को अध्यन के लिए साल भर 3 पुस्तके दी जाती है और यह एग्जाम परीक्षा समय तक छात्र अपने पास रख सकता है, और परीक्षा से पूर्व छात्र छात्रा को पुस्तक जमा करवानी होती है।तभी परीक्षार्थी को नो ड्यूज मिलता है। लेकिन अगर कोई परीक्षार्थी परीक्षा काल में पुस्तक रखना चाहे तो उसको  अपने काॅलेज में उसके एवज में  2000 रुपये सुरक्षा राशि जमा करवानी होती है। पुस्तक के लिए जरूरतमंद छात्र 2000 अपनी डिपार्मेंट काॅलेज में जमा करवाता है, और रोल नंबर हासिल करता हे। 

परीक्षा उपरांत छात्र छात्रा जब पुस्तक जमा करवाने लाइब्रेरी में जाता है तो पुस्तक तो जमा कर ली जाती लेकिन रिकाॅर्ड देखकर भी उसको नो ड्यूज देने में आनाकानी की जाती है, सीट पर बैठा कर्मचारी कहता है की परीक्षा के बाद हम नो ड्यूज नही दे सकते हे, हमे इस रूल की जानकारी नहीं है की परीक्षा से पहले हमारे द्वारा बिना नो ड्यूज दिए तुम्हे रोल नंबर मिल जाता है!

लाॅ काॅलेज के कर्मचारियों से बात होती है तो वो कहते है की नो ड्यूज के बगैर पैसे हम वापस कैसे देवें!

और इस तरह दोनो विभागों की आपसी खींचतान के चक्कर में छात्र/छात्राऐं फुटबाॅल की तरह उधर उधर  भागता फिरता है और मामला प्रशासनिक स्तर पर आ जाता की इससे बात करो, उससे बात करो।

प्रशानिक अधिकारी व  विभागाध्यक्ष बिट्ठल बिस्सा से बात करनी चाही तो  अपने विभाग में नही थे, गार्ड से पूछा तो बताया किसी कार्यक्रम में गए हुवे है और फोन भी लगातार अनुत्तरित रहा।

ऐसे में छात्रा की मांग है की विश्विद्यालय को लाइब्रेरी और विभागों के बीच ऐसा सामंजस्य और स्पष्ट नियमावली होनी चाहिए जिससे शहर से दूर विश्विद्यालय में आए हुवे छात्र छात्रा को हर बार, हर साल परेशानी का सामना नहीं करना पड़े ।

खबरएक्सप्रेस.काॅम ने मामला जब विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज दीक्षित तक पहुंचाचा तो उन्होने इस तरह की व्यवस्था को संज्ञाान मे लेकर कार्यवाही के प्रति आवश्वस्त किया है।

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