राजस्थान में मूंगफली और सरसों की खेती को और बढ़ावा देने की जरूरत-पद्म भूषण प्रो. राम बदन सिंह
पूरे विश्व में राजस्थान निभा सकता है श्री अन्न ( मिलेट्स) उत्पादन में अग्रणी भूमिका- पद्म भूषण प्रो. राम बदन सिंह
केवीके बीकानेर के मूंगफली उत्पादन की उन्नत तकनीकी कार्यक्रम में बोले प्रो. सिंह
समूह प्रथम पंक्ति प्रदर्शन के तहत कुल 110 किसानों को मूंगफली का आदान प्रदान किया गया
बीकानेर, 12 जून। केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय इम्फाल के पूर्व कुलाधिपति व कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो. राम बदन सिंह ने कहा है कि राजस्थान में मूंगफली और सरसों की खेती को और बढ़ावा देने की जरूरत है। उन्होने कहा कि भारत हर साल खाने के तेल का करीब 60 फीसदी विदेश से आयात कर देश में आपूर्ति करता है। जिस पर प्रतिवर्ष करीब 50 हजार करोड़ रू. खर्च होते हैं। प्रो. सिंह ने कहा कि राजस्थान मूंगफली और सरसों के उत्पादन में पूरे देश में अग्रणी है लिहाजा राजस्थान और देश के अन्य राज्यों में जहां मूंगफली और सरसों का उत्पादन होता है, उसे बढ़ाने की जरूरत है। इससे हम प्रतिवर्ष 5 से10 फीसदी तक खाने के तेल का उत्पादन बढ़ा सकेंगे और आने वाले चार पांच सालों में ही भारत खाने के तेल को आयात करने से मुक्त हो सकता है।
प्रो. सिंह बुधवार को कृषि विज्ञान केन्द्र बीकानेर की ओर से स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय के विवेकानंद संग्रहालय सभागार में आयोजित मूंगफली उत्पादन की उन्नत तकनीकी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में समूह प्रथम पंक्ति प्रदर्शन के तहत मंडाल, बीठनोक, बेनीसर, शोभासर, कावनी गांव के कुल 110 किसानों को मूंगफली की किस्म आरजी-110 का प्रदर्शन लगाने के लिए 20-20 किलो आदान प्रदान किया गया।
प्रो. सिंह ने बताया कि पूरे विश्व के श्री अन्न (मिलेट्स) का 40 फीसदी उत्पादन भारत में होता है और भारत के कुल मिलेट्स उत्पादन का 50 फीसदी हिस्सा राजस्थान से आता है लिहाजा राजस्थान पूरे विश्व में श्री अन्न ( मिलेट्स) के उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उन्होने बताया कि श्री अन्न का पौधा वातावरण की कार्बन-डाइ-ऑक्साइड को ग्रहण कर उसे जमीन और प्लांट में डालता है और ऑक्सीजन छोड़ता है लिहाजा श्री अन्न इस प्लानेट को शुद्ध कर रहा है। क्लाइमेट चेंज के तनाव को कम कर रहा है।
प्रो. सिंह ने बताया कि कार्बन इकोनॉमी को लेकर यूनाइटेड नेशन्स ने बहुत बड़ा फंड इकट्ठा किया है। इस फंड को भारत सरकार यूनाइटेड नेशन्स से लेकर मिलेट्स के किसानों को बांटे ताकि मिलेट्स की खेती को और बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने बताया कि मिलेट्स में गेहूं से तीन गुना ज्यादा और चावल से दस गुना ज्यादा फाइबर होता है। लिहाजा मिलेट्स उत्पादन को प्रमोट करने की आवश्यकता है। साथ ही बताया कि पिछले साल दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन में भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्व बढ़ाने में मिलेट्स उत्पादन में नंबर वन होने के चलते राजस्थान ने अहम भूमिका निभाई। यूनाइटेड नेशन्स ने मिलेट्स की महत्ता को देखते हुए ही वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय श्री अन्न वर्ष घोषित किया था।
इससे पूर्व कुलपति डॉ अरूण कुमार ने कहा कि फसलों के मूल्य संवर्धन से किसान अपनी आय बढ़ा सकता है। अनुसंधान निदेशक डॉ पीएस शेखावत ने किसानों को समय पर बुवाई, बीज को उपचारित कर बोने, बीज की सही मात्रा बोने समेत अन्य जानकारी दी। प्रसार निदेशक डॉ सुभाष चंद्र ने केवीके के कार्यों व उनकी उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया। किसानों ने भी अपनी समस्याएं कृषि वैत्रानिकों को बताई। उपनिदेशक प्रसार डॉ राजेश कुमार वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ विमला डुकवाल, भू सादृश्यता एवं राजस्व सृजन निदेशक डॉ दाताराम, मानव संसाधन निदेशालय निदेशक डॉ ए.के.शर्मा, डीपीएमई डॉ योगेश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक बीज डॉ पी.सी.गुप्ता, इं जे.के.गौड़, केवीके अध्यक्ष डॉ दुर्गा सिंह, कृषि पर्यवेक्षक श्री राजेन्द्र सिंह शेखावत समेत बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉ केशव मेहरा ने किया।