तप अभिनंद समारोह व पूजा रविवार को


सभी प्राणियों के प्रति दया, करुणा के भाव रखे-आचार्यश्री जिन मणि प्रभ सूरिश्वर 







बीकानेर, 2 सितम्बर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्य जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी के सान्निध्य में रविवार को सुबह नौ बजे बागड़ी मोहल्ला की ढढ्ढा कोटड़ी में तप अभिनंदन समारोह होगा। समारोह में 33 दिन तपस्वी मोती लाल मुसरफ सहित सिद्धितप, गणधर तप,मास खमण, अट््ठाई सहित विभिन्न तपस्याएं करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की ओर से अभिनंदन किया जाएगा। दोपहर को रांगड़ी चैक के सुगनजी महाराज के उपासरे में संगीतमय नौपद बड़ी पूजा होगी।

      शनिवार को गच्छाधिपति ने प्रवचन में कहा कि सब जीवों के प्रति करुणा,दया के भाव रखे तथा संसार के परमसुख मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें। सांसारिक क्रियाओं में सुख कम दुख अधिक है। करुणा, दया,स्नेह,आत्मीय प्रेम की शुद्ध व निर्मल भावना रखने वाले, देव, गुरु व धर्म के प्रति समर्पण रखने वाले को मोक्ष निश्चित रूप् से मिलता है।

      आचार्यश्री ने कहा कि मानव जीवन अनेक जटिलताओं व समस्याओं व कठिनाओं से भरा होता है। धूप,छांव,मान, अपमान, पीड़ा,रोग व शोक के भाव हमारे अंतर में लगातार पैदा होते रहते है।  सभी परिस्थितियों में विचारों समता  भाव रखते हुए धार्मिक, आध्यात्मिक क्रियाएं व समता, करुणा के भावों को दृढ रखे। जैन धर्म में आचरण को विशेष महत्व दिया गया है। अपने आचरण को शुद्ध व निर्मल रखे तथा मन पर नियंत्रण रखे। सामयिक, प्रतिक्रमण, पूजा, जप-तप आदि धार्मिक क्रियाएं  हमारे कर्मों की निर्जरा के लिए नियमित करें।

      गच्छाधिपति ने कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक युग में भी दूसरे के मन व अंतर में क्या विचार चल रहे है ऐसा कोई साॅफ्टवेयर विकसित नहीं हुआ है। परिस्थिति वश मन व अंतर के विचार व दशाएं बदलती रहती है। बदलते विचार व मनोदशा में सकारात्मक सोच व चिंतन के साथ जीने वाला व्यक्ति दुखी नहीं होता। वहीं सुख में अहंकार रखने वाला साधन-सुविधाओं के बावजूद दुखी रहता है। अहंकार रहित सकारात्मक सोच वाला फक्कड़ भी सभी परिस्थितियों प्रसन्न तथा आनंद का जीवन जीता है।

मौन के साथ प्रार्थना-शनिवार को एक धर्म विशेष के पर्व के दौरान आचार्यश्री के सान्निध्य में श्रावक-श्राविकाओं ने आयम्बिल, उपवास की साधना की तथा निरीही मूक  प्राणियों की आत्मिक शांति के लिए पांच मिनट का मौन रखकर 12-12 बार नवंकार महामंत्र का जाप किया गया।

अभिनंदन- प्रवचन स्थल पर दुर्ग से आए वरिष्ठ श्रावक सतीश सुराणा, गायड़ मल कांकरिया जयपुर के मिश्रीमल सुराणा, चितौड़ के सचिन यति का जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के अध्यक्ष पन्नालाल खजांची, वरिष्ठ श्रावक मोती लाल भुगड़ी, धनराज नाहटा, केयुप के अनिल सुराणा तिलक,माला व साहित्य से अभिंनदन किया।

Post a Comment

Previous Post Next Post