साधु की आठ माताऐं होती है: जैन मुनी श्रृतानंद

 
आत्म साधना पर केन्द्रित रहा आज का प्रचवन

बीकानेर, 15 अगस्त। रांगड़ी चौक स्थित तपागच्छीय पोषध शाला में चल रहे चार्तुमासीय प्रवचन गच्छाधिपति नित्यानंद सुरीश्वर जी के शिष्यरत्न  मुनि पुष्पेन्द्र जी एवम मुनि  श्रुतानंद जी द्वारा किया गया।

स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित आज के प्रचवन मे श्रुतानंद विजय म.सा. ने तत्व ज्ञान आत्म साधना के बारे में बताते हुवे अष्टज्ञान पर प्रवचन दिया गया ,और कहा साधु की आठ माताएं होती है जो जैन साधु को एक एक कर आठ बातों को सिखाती है। इन आठ गुरुमाताओं द्वारा प्रदत्त ज्ञान को लघु नाटिका के माध्यम से संयोजिका ललिता तथा 8 गुरुमाताओं  के रूप में कुसुम, सरोज, वर्षा, कीर्ति, ऋतु, भाग्यश्राी, सोनू, सुमन ने अपनी अपनी सीख को मंच से जैन श्रावको श्राविकाओं  का गुरुशिक्षा दी । समाज के श्रावक श्राविकाओ ने जैन मुनि श्रुतानंद विजय म.सा. तथा जैन  मुनि पुष्पेंद्र  म.सा.  से आत्म साधना का गुरु ज्ञान लिया।

मुनि पुष्पेंद्र विजय जी ने श्रीमद् विजय रत्नसेन सूरीजी द्वारा  लिखित पुस्तक प्रातः स्मरण में से प्रवचन दिया ,अति स्वार्थवश किसी की प्रशंसा में अतिरेक करना गलत आदत होती जो भविष्य में व्यक्ति, परिवार और समाज के लिए अहित करता है। इसलिए हमे किसी को भी अतिरिक्त प्रशंसा का दुर्गुण नही अपनाना चाहिए और ना किसी ऐसे आदमी को बढ़ावा देना चाहिए जो झुठी प्रशंसा करता हो।

प्रचवन उपरांत अंजु कोचर, जयश्री कोचर, मानक देवी , शारदा जी ने मुनि श्रुतानंदजी के आह्वान पर गुरु विजयवल्लभ सूरीश्वर पर आधारित गुरु मूर्ति के सामने जन मन गण गीत गाकर गुरुवंदन किया गया तथा श्राविका अंजू कोचर ने भारत माता की भूमिका निभाते हुए देश भक्ति की रचना सुनाई और धर्मानुआयियों को स्वाधीनता दिवस के उपलक्ष पर राष्ट्रभक्ति से जुड़े प्रसंग सुनाए।

ट्रस्टी सुरेंद्र बद्धानी ने बताया की चातुर्मास के अवसर पर नियमित प्रवचन के बाद भक्ति मनोरंजन का आयोजन होता है जिसमे धार्मिक भक्ति क्रिकेट के विजेताओं को सम्मानित किया जाता है

प्रवचन के दौरान शांति लालकोचर, अजय बैद , विजय डागा, कबू जी बेद, प्रकाश चंद कोचर, रौनक बैद सहित बड़ी संख्या मे श्रावक श्राविकाओं ने गुरुभक्ति के साथ नियमित पाठ किया।

प्रवचन उपरांत श्रावक श्राविकाओं द्वारा 48 मिनट की सामूहिक सामायिक की गई। 

प्रवचन पूर्ण होने के पश्चात आज शिवानी चाय के जितेंद्र कोचर परिवार तथा बैदों के महावीरजी द्वारा भगवान की पुर्नस्थापना निमित प्रभावना की गई।

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