कोलकाताः शंकर तिवारी के पहले उपन्यास 'नई सुबह' का लोकार्पण प्रख्यात आलोचक डॉ.विजय बहादुर सिंह ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हिन्दी में उपन्यास विधा का ढांचा अब तक तैयार नहीं हुआ है। और यह उसकी सेहत के लिए ठीक है क्योंकि ढांचा तैयार हो जाने के बाद इस विधा की आज़ादी छिन जायेगी और ढांचा केन्द्रीय तत्व हो जायेगा। उन्होंने कहा कि साहित्य की दृष्टि से राजनीति को देखा जाना चाहिए। राजनीति की दृष्टि से जब साहित्य को देखा जाता है और तो साहित्य पतित होता है संस्कृति पर अंकुश लगने शुरू होते...
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