बीकानेर धर्मधरा नगरी में 13 वर्षीय पदम नाहटा ने आठ की तपस्या की, जिसमें पदम नाहटा ने आठ दिन तक किसी प्रकार का अन्न भोज्य पदार्थ ग्रहण नहीं किया, सिर्फ आठ दिन तक उबला हुआ पानी ग्रहण किया तथा यह तपस्या खरतगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्य जिन मणिप्रभ सुरिश्वरजी के आर्शीवाद से सातापूर्वक किया तथा बीकानेर जैन समाज संघ ने इस छोटे बालक की आठ की तपस्या की भूरि- भूरि अनुमोदना की तथा तपस्वी का अभिनन्दन किया तथा तपस्या के उपलक्ष में पदम के परिवार वालों ने वरगोड़ा निकाला, जिसमें जैन समाज के लोग शामिल हुवे, जो वरगोड़ा आदिनाथ जैन मंदिर नाहटा मौहल्ला से शुरू होकर विभिन्न जैन मौहल्लो से होते हुवे सुगनजी महाराज के उपासरे पहुंचा, जहां गच्छाधिपति आचार्य जिन मणिप्रभ सुरिश्वरजी ने उसको आर्शीवाद प्रदान किया एवम् मंदिर में चैत्य वंदन विधि की गई।
