कानभा मोखीया ना कसुंबी दुहा - भाग- 2



ऐकनी उतारे आरती,दुजा ने धोबी धोय;
केटलो फरक कानभा,धावण धरानु तोय.(१)

भाळ्या घणा भणेला,अमुक ऐमा अभण;
पण चतुर कोम चारण,कायम आगळ कानभा.(२)

मुखे मोतीडा झरे,हैये हंसला होय ;
बाकी बक्ता तो बगला फरे,माछलीऐ मनडा मोय.(३)

तन ना मेला ताकाय,धिबता ऐ धोवाय;
पण मनना मेला न मांजाय,कोइ उपाये कानभा.(४)

मन मेली वरहे मेहुलो,खलक खिली जाय
पण बळेल बिठा न थाय,कोतर छलकाय तोय कानभा.(५)

वात डाया वेधु घणा,आतम घणा अहम् ;
गांडाना नइ गम,पण ओल्या डोढ भरे न दम.(६)

खंभा जोइ खालवीये,भरेल भितर भार;
बहुरूपी आगळ न बकीये,बके भर बजार.(७)

चिंन्ता केरा चुलामे,खोळीयु गयु खडकाइ
हैये जडाहु हालियु,वहियु वराळुथाइ.(८)

विंटोळी भितर वेदना,अंतरथी दुखी आप
कपरी परिस्थिमा कानभा,बके न कोइदी बाप.(९)

सुख संपत्ति ने शरिर पर,ना कर वाला नाज
रावण ना ऐ राज,कायम न रिया कानभा.( १०)

लुखो खाये लेरथी,सुका थी संतोष
देवो कोने दोष,कर्मफळ नो कानभा.(११)

तांबा पीतळना तार,गजावो ऐम गाजे
पण वागे नइ ऐ वाजे,कंसन टकोरे कानभा.(१२)

मान देवु मान लेवु,आतम तजवु अभिमान
लंका जो लंकेशनी,सळगी थइ समसान.(१३)

दुहो विंधे दलडा,ताणे भितर तार
काळज कोरे कानभा,मुंगो ऐनो मार.(१४)

ओघा करी इरसा ना,बांध्या माथे बंध
ऐ स्वार्थ भरेला सबंध,केम टके कानभा.(१५)

निडर ने निखालस,जेनी जोरीली जुबान
कडक मिजाजनो कानभा,बेफिकर बचुदान.(१६)

जोरूको ऐ जंगलनो,गजथी वधु सवागज
कुंभाथळ चिरे कानभा,छलांग दैय सावज.(१७)

चमके वधारे चुलाना,ओलव्या न ओलवाइ
काचा अंगारा कानभा,बळे बमणा थाय.(१८)

डणकी सिंहण डेलीऐ,अहर सारू आइ
बाकर मारवा ते बाइ,झपट करी मां जीवणी.(१९)

नापाक नजरू नाखता,भाळ्यु सिंहण रूप
मार्यो ते मोटो भुप,भर बजारे भगवती.(२०)

अम्मा अम्मा करी आवता,कष्ट निवारण काज
पाकिस्तान ना पाधरे,हाजर बेठी हिंगळाज.(२१)

आंगण दुजे आटाळियु,पोरहना सुटता पुर
गातो चारण गीतडा,सरवा काढी शुर.(२२)

....हवेना समयमा...

दुजाणु भाळी दुभाता,दुध गया दोणेथी दुर
विचार शक्ति वाणी गइ,गयु शुरवीर तानु शुर.(२३)

...पछी बोटल आवी...

पिवे घणु पण पचे नइ,नवु न देखाय नुर
बोतल पिवे बापडा,दुजाणु काढी दुर.(२४)

भगवती तारा भेळीये,अढळक संपत्ति आइ
खजानो आखा खलकनो,(तारा) सेडे बांधेल सोनबाइ.(२५)

चारणने संगत होय सावजनी,ऐ जीवे न रांका रीत
ऐने पंडथी वधारे प्रित,मरद भेरू नी मोखीया.(२६)

बके न जाजु बारवटियो,वगदा न बोले वेण
परनारी पद वंदन करे,नमता राखी नेण.(२७)

✍🏻 रचयिता:- कानभा गढवी (मोखीया)

🙏🏻कानभा मोखीया ना जय माताजी🙏🏻

पोस्ट:- निलेश गढवी (सामराणी)


                      ||जय माताजी||