वीतराग परमात्मा महावीर अनादिकाल तक प्रेरणादायक रहेंगे-जिन मणिप्रभ सूरिश्वरजी

बीकानेर, 23 अगस्त। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के गच्छाधिपति, आचार्यश्री जिन मणि प्रभ सूरिश्वरजी म.सा. ने बुधवार को बागड़ी मोहल्ले की ढढ्ढा कोटड़ी में ''कल्पसूत्र'' का वाचन विवेचन करते हुए 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जीवन आदर्शों का स्मरण दिलाया। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर का जीवन व उनके आदर्श सम्पूर्ण मानवीयता, सत्य,अहिंसा, करुणा, दया, संयम को सम्मान देने वाले लोगों के लिए हमेशा अनुकरणीय व प्रेरणादायक रहेगा। भगवान महावीर के सिद्धान्त व उपदेश सम्पूर्ण प्राणियों के लिए है, इन्हें किसी धर्म, सम्प्रदाय के दायरे में सीमित नहीं किया जा सकता। 
आचार्यश्री ने कहा कि भगवान महावीर ने विवाह सहित अनेक लौकिक क्रियाएं कर्म बंधन व भोग को समाप्त करने के लिए की। संसारिक भोगों को भोगने के लिए नहीं । उन्होंने लौकिक रूप से माता-पिता व भाई के साथ उत्तम व्यवहार किया । उन्होंने किसी को पीड़ा व तकलीफ नहीं पहुंचाई। संसार में रहते हुए आत्मकल्याण का ध्येय रखकर स्वयं मोक्ष प्राप्त किया ।  वीतराग परमात्मा महावीर आत्म कल्याण करने वाले व मुमुक्षुओं के लिए अनादिकाल तक प्रेरणादायक रहेंगे। 
गच्छाधिपति ने कहा कि भगवान महावीर के जीवन व उनके आदर्शों को भावों से समझने व हृदय में उतारने की आवश्यकता है। पाप कर्मों से डरना है तथा पुण्यकर्मों का अर्जन करना है। पाप कर्म जीवन व भविष्य को बिगाड़ देते है वहीं पुण्यकर्म अनेक पापों, कष्टों व दुःखों से व्यक्ति को बचा लेते हैं। पाप करने से पहले 100 बार सोचना, चिंतन व मनन करना चाहिए। व्यक्ति को किए गए पापों का कष्ट,दुख व तकलीफ  दुगनी भोगनी पड़ती है। तीर्थंकरो ंने कर्मों की निर्जरा अपने पुरुषार्थ से की। लौकिक कष्ट व तकलीफ में भी वे आत्मा में लीन रहे। परमात्मा के जीवन व रोम-रोम में करुणा, दया व समता आदि विशिष्ट गुणों से विभूषित रहा है। वीतराग परमात्मा की वाणी को हृदय में अंगीकार   करुणा,दया व समता के भाव रखने वाले  व्यक्ति को ऊंचाइयों को छूते हैं।  संसार व सांसारिक वस्तुओं का राग छोड़ने पर परमात्मा का राग होता है। परमात्म राग के बाद केवल्य ज्ञान होने पर सभी राग छूट जाते है । आत्म-परमात्म स्वरूप में प्रतिष्ठित हो जाती है। 
जैन जीवन पर प्रदर्शनी-27 को-
जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्य जिन मणिप्रभ  सूरिश्वरजी आदि ठाणा 8 व साध्वी प्रिय श्रद्धांजनाश्री आदि ठाणा 6 के सान्निध्य में रविवार को जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ श्री संघ के तत्वावधान में, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद के सहयोग से ''जैन जीवन पर आधारित अनूठी प्रदर्शनी लगाई जाएगी। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष पन्नालाल खजांची ने बताया कि सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक चलने वाली प्रदर्शनी में प्रवेश निःशुल्क रहेगा । किसी जाति, धर्म व सम्प्रदाय का व्यक्ति प्रदर्शनी का अवलोकन कर सकेगा। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में ज्ञान वाटिका के नन्हें बालक-बालिकाओं ने जैन जीवन शैली के उन समस्त बिन्दुओं को शामिल किया गया है, जिससे आचार -विचार, संस्कारों को जांच कर जीवन को परिष्कृत और सुसंस्कृत किया जा सकें ।