नोखा में जिला स्तरीय शैक्षिक अधिवेशन सम्पन्न

बीकानेर/ राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जिला स्तरीय शैक्षिक अधिवेशन का समापन समारोह बाबा छोटूनाथ स्कूल,नोखा में शनिवार को सम्पन्न हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि सयुक्त निदेशक प्रशिक्षण ओमप्रकाश सारस्वत ने कहा कि व्यक्ति निर्माण में एक शिक्षक की भूमिका अतिशय महत्वपूर्ण हुआ करती है, बालक की अन्तनिर्हित प्रतिभा व क्षमता को पहचान कर उसे उद्घाटित करने का महनीय कार्य उसे करना होता है। उन्होने कहा कि शिक्षक ही इतिहास को बदलता है इतिहास बदलने से ही समाज की धार विकसित होती है। समाज की बदली धार से किसी भी दुष्कर कार्य को पूर्ण होने में समय नही लगता है इसलिए लक्ष्य को लेकर चलने से ही बालक व शिक्षक दोनो का विकास होता है दोनो के विकास से समाज व राष्ट्र का उत्थान होगा।


विशिष्ट अतिथि पूर्व सहायक निदेशक माध्यमिक शिक्षा चन्द्रशेखर हर्ष ने कहा कि दूषित सरकारी नीतियो के कारण शिक्षक आज राष्ट्र निर्माता के स्थान पर बहुउद्वेशीय कर्मचारी बन गया है जिसके परिणाम स्वरूप शिक्षा में निरन्तर गिरावट और गुणवता हास के रूप में सामने आ रही है। इसलिए शिक्षको को चाहिए कि वे अपनी ईमानदारी,निष्ठा और उर्जा से कर्तव्य को पूरा करे। उन्होने कहा कि शिक्षको के आत्मविश्वास के कारण ही आज सरकारी विद्यालयो में नामाकंन बढने के साथ साथ परीक्षा परिणाम भी उत्कष्ठ रहा है वही संसाधनो की उपलब्द्वता भी भामाशाह के माध्यम से मिलने से भौतिक विकास की गति भी बढी है।
विशिष्ट अतिथि तहसीलदार धन्नाराम गोदारा ने कहा कि शिक्षक अपने कर्तव्य की गंध से विद्यालय में सुगन्ध का अहसास कराए तभी शिक्षा का विस्तार हो सकेगा और समाज व राष्ट्र उन्नति की ओर अग्रसर हो सकेगा।

प्रदेश सचिव माध्यमिक शिक्षा सुरेश व्यास ने कहा कि सगठन केवल शिक्षक हितो का कार्य नही करते अपितु प्रषासन व शिक्षक समुदाय के बीच एक समन्वयक का कार्य करते है और यही कारण है कि संगठन के माध्यम से ही प्रषासनिक निर्णयो को बिना विवादास्पद बनाये लागू करना सभ्भव हो पाता है। उन्होने कहा कि शिक्षक सम्मान का पात्र हेै क्योकि जिस समाज में शिक्षक का सम्मान नही होता वह पतन की और बढने लगता है।
पूर्व शिक्षा अधिकारी भवरलाल पूनिया ने कहा कि शिक्षा का क्षेत्र नौकरी का नही अपितु समाज को संस्कारित करने का कार्य होता है इसलिए शिक्षक को हमेशा अपने कर्तव्यो के साथ साथ बालक के व्यक्तित्व को निखारने का कार्य कर अपनी प्रतिष्ठा को बनाना होगा।
इससे पूर्व तृतीय सत्र में ख्ुाले अधिवेशन में संगठन के माॅग पत्र के साथ साथ अन्य कई समस्याओ पर शिक्षकों द्वारा मंथन किया जाकर पारित किये गये। प्रस्तावो में उच्च प्राथमिक शिक्षा की और ध्यान देने,पीईइओ प्रभार वाले विद्यालयो में उपप्रधानाचार्य पद स्वीकृत करने, 2012 एवं 2015 के स्थायीकरण कर बकाया वेतन एवं एरियर का भुगतान करवाने, शिक्षा अधिकारियो व शिक्षकों के रिक्त पद भरने, पीपीपी मोड पर विद्यालयो को नही देने, शिक्षा को अर्थ से नही जोडने, चुनाव घोषणा के अनुरूप शिक्षकों को केन्द्र के समान हुबहु सातवा वेतनमान देने, गे्रड पे एवं अन्य सुविधाओ के लाभ देने,स्थानान्तरण व समानीकरण के स्थायी नियम बनाने, वाणिज्य एवं सामाजिक विषय के शिक्षको को समयबद्व पदोन्नति हेतु प्रधानाध्यापक व हैड टीचर पद लगाने, द्वितीय श्रेणी की वेतन विसंगति का निस्तारण करने, आदर्श विद्यालयो में कम्प्यूटर आॅपरेटर की नियुक्ति करने,प्रबोधको की पदोन्नति करने, शारीरिक शिक्षको की पदोन्नति करने, ग्रामीण भत्ता देने, गेर शैक्षणिक कार्यो से मुक्ति,आरटीई एक्ट के अव्यावहारिक प्रावधानो को समाप्त करने,,चिकित्सा बीमा का लाभ सभी शिक्षकों को दिलाने,डार्क जोन से गृह जिले में स्थानान्तरण करने,समय पर वेतन भुगतान हेतु बजट आवंटन करवाने आदि माॅगो पर चर्चा के साथ प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेजने की चर्चा की गयी।
अधिवेशन में ओमप्रकाश विश्नोई,सुभाष गोदारा, दयाशंकर शर्मा,लेखराम गोदारा,कान्ता वर्मा,चैना कुमारी,शिवनारायण भादू,मघाराम खाती, बनवारीलाल भादू, हरीराम गर्ग,मोहनलाल खत्री,भागीरथ विश्नोई, ओमप्रकाश पुनिया,श्रीमती विमलेश व्यास, श्रीमती कुसुमलता वर्मा, नरेन्द्र आचार्य मोहनसिंह कस्वा, कैलाशदान,गोर्वधन विश्नोई,गोपालसिंह भाटी, मोहनलाल,दानाराम, अलसीराम हडमान कडवासरा,भागीरथ चैधरी आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार शिक्षकेा के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाये हुए है इसलिए शिक्षकों को समय रहते सावधान होकर अपने हितो के लिए ठोस कार्यक्रम की नीति बनाकर कार्य करना होगा तभी शिक्षको की समस्याओ का समाधान होगा।
पाॅचू अध्यक्ष मोहनलाल भादू ने आभार व्यक्त किया।